अब स्मार्ट फोन के लिए नहीं पड़ेगी टॉवर की जरूरत, चीन ने लांच कर दिया सेटेलाईट फोन

 चीन ने एक ऐसी क्रांतिकारी टेक्नोलॉजी को बना दिया है जिसे अब आपके फोन में नेटवर्क के लिए टावर की जरूरत नहीं पड़ेगी। आप जो अपने घर के आस-पास बड़े-बड़े टावर देखते हैं अब उनकी जरूरत नहीं पड़ेगी। अब बड़ा सवाल बनता है कि अगर टावर नहीं होंगे तो मोबाइल नेटवर्क से कनेक्ट कैसे होगा।तो इसका जवाब है चीन सेटेलाइट के माध्यम से नेटवर्क कनेक्शन देने वाला है। सेटेलाइट फोन इंडिया में तो प्राइवेट है फिर इन्होंने कैसे Allow कर दिया। सेटेलाइट फोन का प्रयोग प्राइवेट बातचीत में किया जाता है।




जैसे ही हम किसी नंबर को डायल करते हैं तो फोन में लगी हुई डिवाइस से रेडियो वेव  निकलना शुरू करती है। नजदीकी टावर उसे कैप्चर करता है, फिर टावर की मदद से जमीन के अंदर बिछी हुई वायर केबल के माध्यम से वह स्विचिंग स्टेशन के पास पहुंचता है। स्विचिंग टावर एरिया को फाइंड करके सामने वाले के पास वाले टावर पर रेडियो वेव भेजता है। वहां से उसके फोन पर कॉल चली जाती है। मोबाइल से टावर तक पहुंचना ही सिर्फ रेडियो वेव का काम है उसके बाद सारा काम वायर केबल की मदद से होता है। और यह प्रक्रिया इतनी तेजी होती है कि यहां पर हेलो बोलते हैं तुरंत सामने वाले के मोबाइल फोन पर सुनाई दे जाता है। 

लेकिन चीन ने इस सारे ताम झाम को हटाकर सैटेलाइट फोन का उपयोग करने का इंतजाम बना लिया है। मतलब आप यहां से कॉल लगाते हैं तो डायरेक्ट ऊपर सेटेलाइट के पास जाएगा और सेटेलाइट से डायरेक्ट दूसरे व्यक्ति के फोन पर कनेक्ट हो जाएगा बीच में टावर, वायर केबल और स्विचिंग सेंटर की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी।


स्मार्ट फोन के लिए नहीं पड़ेगी टॉवर की जरूरत, चीन ने लांच कर दिया सेटेलाईट फीचर वाला फोन


चीन का एक प्रोजेक्ट जिसका नाम है " Tiantong Project " इसे चीन ने अगस्त 2016 में धरती से अंतरिक्ष में 36000 किलोमीटर की ऊंचाई पर लॉन्च किया था। ऐसे ही इन्होंने दो सैटेलाइट और एक 2020 और एक 2021 में भेजी थी।

अब दिक्कत यह थी कि फोन में एक ऐसी डिवाइस का इंतजाम किया जाए जो फोन से 36000 किलोमीटर ऊंचाई पर रेडियो वेव्स को भेज सके। इसके लिए एक बेहतरीन सेमी कंडक्टर डिवाइस की जरूरत थी। 

चीन की एक कंपनी " Huawaei " ने अगस्त 2023 में  Mate 60 Pro नाम का एक सेटेलाईट फोन लॉन्च किया।  भारतीय मुद्रा में इसकी कीमत 76 हजार रुपए हैं। चीन ने दुनिया का पहला सेटेलाइट कॉलिंग फीचर वाला फ़ोन बना दिया।  इसमें डबल सिम का उपयोग किया गया है जिससे आप टावर तथा सैटेलाइट दोनों को यूज कर सकते है। 

कहीं आप एकांत में फंस गए हो, मरुस्थल में फंस गए हो, समुद्र के बीच में फंस गए हो या फिर जंगल में कहीं खो गए हो वहां पर एक ही फोन आएगा काम आएगा जिसका नाम सेटेलाइट फोन है। फिर दुनिया के देश इसको परमिट क्यों नहीं करते.? परमिट इसलिए नहीं करते हैं क्योंकि इसमें डर बना रहता है सरकार को

सबसे बड़ा डर क्या रहता है अगर सरकार को कोई दंगा रुकवाना है। कोई अपने खिलाफ हो रहे प्रोटेस्ट को दबान है तो सरकार तत्काल प्रभाव से उस जगह के टावर के कनेक्शन को कटवा देती है। लेकिन चीन वालों को इस बात की कोई टेंशन ही नहीं है।क्योंकि चीन में कोई सरकार के खिलाफ खड़ा ही नहीं होता है, हो जाए तो वहाँ की सरकार वैसे ही उसको सूट करवा देती हैं।

भारत के अंदर सेटेलाइट फोन यूज न होना का सबसे बड़ा कारण है। एक तो सरकार कोई मैनेजमेंट को करने के लिए इंटरनेट को कटवा देती है। दूसरा आतंकी घटनाओं को रोकने के लिए इंटरनेट के कनेक्शन को कटवा देती है।


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